दिल्ली के जंतर मंतर में 16 सितंबर को प्राउटिष्टों का एकदिवसीय धरना

आज भारतवर्ष गरीबी, बेरोज़गारी, मंदी, महँगाई, भ्रष्टाचार आदि समस्याओं से जूझ रहा है। लेकिन शासन-प्रशासन या तो इन समस्याओं के अस्तित्व को हो नकार देता है, या फिर इनके प्रति बड़ा ढीलाढाला और लापरवाह रवैया अपनाता है।

हालाँकि  विपक्षी दल आज इन समस्याओं के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं, लेकिन अभी तक का अनुभव बताता है कि हर राजनैतिक दल को सत्ता में आते ही ये समस्याएँ दिखाई देनी बंद हो जाती हैं। जैसे बीजेपी को कॉंग्रेस राज में महँगाई और बेरोजगारी दिखती थी, लेकिन अब नहीं दिखाई देती, जबकि कॉंग्रेस अब गरीबों और बेरोजगारों का सबसे बड़ा मसीहा बनी बैठी है। ये पाले बदलने का खेल दशकों से चल रहा है, जो निरीह जनता के साथ क्रूर मज़ाक है !!!

इसका कारण यही है कि तमाम राजनैतिक दल जिन लोगों के धनबल की मदद से सत्ता में आते हैं वे ही इन समस्याओं के लिए जिम्मेदार हैं। इसलिए इन दलों का समस्याओं को हल करने का कोई इरादा नहीं हैं। इन समस्याओं का बना रहना इनके लिये सत्ता में आने का पासपोर्ट है।

ऐसे में एकमात्र राजनैतिक दल जिसके पास इन समस्याओं का मौलिक समाधान है, और समाधान करने का इरादा भी है, वह है पीबीआई यानी प्राउटिष्ट ब्लॉक, इंडिया !

मात्र पीबीआई के पास ही एक उन्नत समाजार्थिक दर्शन जो हर समस्या का व्यवहारिक हल देने में सक्षम है, और  पीबीआई ही एकमात्र राजनैतिक दल है जो शोषक पूँजीपतियों के धन से पोषित नही है। इसलिए आप 16 सितंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर आकर पीबीआई के साथ देश और समाज की आवाज बुलंद कीजिए।

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