अगरतला स्थित कॉलेज टिला मे प्रभात संगीत की 41वीं वर्षगांठ के अवसर पर आज @RAWA( रेनसा आर्टिस्ट और राइटर एसोसिएशन)के सहयोग से आनंद मार्ग स्कूल में एक 'प्रभात संगीत आधारित सांस्कृतिक प्रतियोगिता' आयोजित की गई।
कलाकारों ने प्रभात संगीत व नृत्य व गायन की प्रस्तुति के साथ चित्रकला की प्रतियोगिता हुई।आज से लगभग 7000 वर्ष पूर्व भगवान सदाशिव ने सरगम का आविष्कार कर मानव मन के सूक्ष्म अभिव्यक्तियों को प्रकट करने का सहज रास्ता खोल दिया था। इसी कड़ी में सितंबर 1982 को झारखंड राज्य के देवघर में आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्रीश्री आनंदमूर्ति ने प्रथम प्रभात संगीत बंधु हे निये चलो बांग्ला भाषा में देकर मानव मन को भक्ति उन्मुख कर दिया। इस गीत को गाकर कितनी जिंदगियां संवर गईं। कहा कि प्रभात संगीत के भाव, भाषा, छंद, सूर एवं लय अद्वितीय और अतुलनीय है।
बांग्ला, उर्दू, हिंदी, अंगिका, मैथिली, मगही एवं अंग्रेजी भाषा में प्रस्तुत प्रभात संगीत मानव मन में ईश्वर प्रेम का प्रकाश फैलाने का काम करता है। संगीत साधना में तल्लीन साधक को एक बार प्रभात संगीत रूपी अमृत का स्पर्श पाकर अपनी साधना को सफल करना चाहिए। कहा कि आजकल प्रभात संगीत एक नए घराने के रूप में लोकप्रिय हो रहा है।
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