पश्चिम बंगाल स्थित आनंद नगर पुनदाग में आनंदमार्ग हाईस्कूल में स्वामी विवेकानंद की जन्मजयंती का उत्सव मनाया गया
12 जनवरी 2024 को आनंदमार्ग हाईस्कूल, आनंदनगर में स्वामी विवेकानंद की 160वीं जन्मजयंती का उत्सव मनाया गया, जिसमें कविता, संगीत, कहानी, भाषण और छात्रों को विज्ञान ओलंपियाड परीक्षा के प्रमाणपत्रों का वितरण शामिल था। समाप्त होने पर, प्रमुख शिक्षक आचार्य प्रज्ञानानंद अवधूत ने छात्रों के लिए एक संबोधन किया।
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था. हर साल उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के रूप में मनाया जाता है. क्योंकि स्वामी विवेकानंद के आदर्श, विचार और काम युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं.
स्वामी विवेकानंद जी बचपन से ही बड़े ही जिज्ञासा प्रवृत्ति वाले व्यक्ति थे।
जिसके चलते उन्होंने एक बार महर्षि देवेंद्रनाथ से सवाल पूछा “कि क्या आपने कभी ईश्वर को देखा है?” स्वामी जी के इस सवाल से महर्षि जी को आश्चर्य हुआ और उन्होंने स्वामी जी के जिज्ञासा को शांत करने के लिए रामकृष्ण परमहंस के पास जाने की सलाह दी इसके बाद स्वामी विवेकानंद जी ने रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरु मान लिया और उन्हीं के बताए मार्ग पर चलने लगे।विवेकानंद जी रामकृष्ण परमहंस से इतने प्रभावित हुए कि उन्हें मन में अपने गुरु के प्रति कर्तव्य निष्ठा और श्रद्धा बढ़ती चली गई।
1885 रामकृष्ण परमहंस कैंसर से पीड़ित हो गए। जिसके बाद विवेकानंद जी ने अपने गुरु की सेवा की।
इसी तरह उनका रिश्ता और भी गहरा होता चला गया।
राम कृष्ण जी की मृत्यु के बाद नरेंद्र वरहानगर में रामकृष्ण संघ की स्थापना की।
बाद में इसे राम कृष्ण मठ का नाम दिया गया।
रामकृष्ण मठ की स्थापना के बाद नरेंद्र नाथ जी ने ब्रह्मचार्य त्याग का व्रत किया और वे नरेंद्र से स्वामी विवेकानंद हो गए।
भारत भ्रमण
25 साल की उम्र में ही उन्होंने गेरुआ रंग धारण कर लिया था और इसके बाद वे भारत की पैदल यात्रा पर निकल पड़े। पैदल यात्रा के दौरान उन्होंने आगरा,अयोध्या, वाराणसी, वृंदावन, अलवर समेत कई जगहों पर गए।
यात्रा के दौरान उन्हें जातिगत भेदभाव जैसी कुरीतियों का पता चला उन्होंने उन्हे मिटाने की कोशिश भी की।
23 दिसंबर 1892 स्वामी स्वामी विवेकानंद कन्याकुमारी में 3 दिन तक गंभीर समाधि में रहे।
यहाँ से वापस लौटकर वे राजस्थान पहुंचे अपनेऔर गुरु भाई स्वामी ब्रह्मानंद और तुर्यानंद से मिले।
योगदान
- 30 वर्ष की उम्र में स्वामी विवेकानंद जी ने अमेरिका के विश्व धर्म सम्मेलन में हिन्दू धर्म का प्रतिनिधित्व किया।
- गुरुदेव रवींद्र नाथ जी का कहना था कि आप भारत को जानना चाहते हैं तो विवेकानंद जी को पढ़िए मैं आप सब कुछ सकारात्मक ही पाएंगे नकारात्मक भी नहीं।
- लोगों को सांस्कृतिक भावनाओं के जरिए जोड़ने की कोशिश की।
- जातिवाद से जुड़ी कुरीतियों को मिटाने की कोशिश की और नीची जातियों के महत्व को समझाया और उन्हें समाज के मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया।
- स्वामी विवेकानंद जी ने भारतीय धार्मिक रचनाओं का सही अर्थ समझाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- स्वामी विवेकानंद जी ने दुनिया के सामने हिंदुत्व के महत्व को समझाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- विवेकानंद जी ने धार्मिक परंपराओं पर नई सोच का समन्वय स्थापित किया।
मृत्यु
4 जुलाई, 1902 को 39 साल की उम्र में ही स्वामी विवेकानंद जी की मृत्यु हो गई।
लेकिन उनके शिष्यों की मानें तो स्वामी विवेकानंद जी ने महा-समाधि ली थी।
उन्होने अपनी भविष्यवाणी में कहा था कि वह 40 साल से ज्यादा जीवित नहीं रहेंगे।
इस महान पुरुष का अंतिम संस्कार गंगा नदी के तट पर किया गया था।
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