बेंगलुरु में आनंद मार्ग के आचार्य शुश्रुतानंद अवधूत ने स्कूल छात्रों को लेकर रैली निकालकर युवा दिवस मनाया गया।आज विचारों से लोगों की सोच बदलने वाले स्वामी विवेकानंद की आज जयंती है. स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था. साथ की आज के दिन युवा दिवस भी मनाया जाता है. स्वामी विवेकानंद श्रीरामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे.
विवेकानंद बहुत कम उम्र में ही संन्यासी बन गए थे. पश्चिमी देशों को योग-वेदांत की शिक्षा से अवगत कराने का श्रेय स्वामी जी को ही जाता है. स्वामी विवेकानंद ने 19वीं शताब्दी के अंत में विश्व मंच पर हिंदू धर्म को एक मजबूत पहचान दिलाई थी. स्वामी विवेकानंद का असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, जिन्हें नरेन के नाम से भी जाना जाता है. बहुत कम उम्र में ही उनका झुकाव अध्यात्म की तरफ हो गया था.
बचपन से ही बुद्धिमान थे विवेकानंद
स्वामी जी बचपन से ही बहुत बुद्धिमान थे. कहा जाता है कि मां के आध्यात्मिक प्रभाव और पिता के आधुनिक दृष्टिकोण के कारण ही स्वामी जी को जीवन अलग नजरिए से देखने का गुण मिला. स्वामी जी के पिता कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक वकील थे. उनके दादा दुर्गाचरण दत्त संस्कृत और फारसी भाषा के विद्वान थे और 25 वर्ष की आयु में साधु बन गए थे. पारिवारिक माहौल ने उनकी सोच को आकार देने में मदद की. नरेन बचपन से ही बहुत चंचल स्वभाव के थे. जैसे-जैसे वो बड़े होते गए, उनमें व्यावहारिक ज्ञान और पौराणिक समझ गहरी होती गई.




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