श्रद्धेय आचार्य स्वरूपा नंद दादा के आज दिनांक17-02-2024 को सिंगापुर में महाप्रयाण के साथ एक युग का अंत हुआ




 💐श्रद्धेय आचार्य स्वरूपा नंद दादा के आज दिनांक17-02-2024 को सिंगापुर में महाप्रयाण के साथ एक युग का अंत हुआ।बाबा के साथ किशोरावस्था से साथ रहे।उनकी सबसे बड़ी  विशेषता रही कि पूरे जीवन काल मे एक छड़ भी उनकी साधुता पर कभी आंच नही आई।इस दुनिया मे कोई भी ऐसा व्यक्ति नही मिलेगा जिससे उनको कभी एक पल के लिए शिकायत हुआ हो।अपनी मधुर वाणी से बाबा कथा से बाबा की साक्षात उपश्थिति करा देने वाले एक महान आत्मा की वाणी अब नही सुन सकेंगे।जब उनको देखते थे उनको सुनते थे तो ये भाव सहज उठता था कि ये शरीर कितने वर्षों तक बाबा के सानिध्य में रहा होगा बाबा से बातें किये होंगे।वो भाव तरंग अब कौन पैदा करेगा।  संगठन की तमाम उतार चढ़ाव के बाद भी उनसे किसी को कभी शिकायत नही रही।साथ ही अपने जीवन की समस्त ऊर्जा से जो अधिकतम सार्थक योगदान दे सकते थे उन्होंने दिया और उसे सहेज कर रखा गया तो दिखेगा भी।खासकर आनंदनगर में शिक्षा के छेत्र में।उनके सभी प्रोजेक्ट को ऊंचाई तक ले जाना उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।*
      बाबा काल के सानिध्य की आध्यात्मिक तरंग उनमें सहज दिखती थी।हमे जब कभी सिस्टम के तकनीकी मामलों में जरूरत हुई उनसे फोन पर बात किये वो जरूर कॉल उठाते थे या बाद में काल करते थे।मैं उनके द्वारा दी गई महत्वपूर्ण जानकारी को सहेज कर रखा हुँ।एक आदर्श आचार्य के रूप में ऐसे विषम परिश्थितियो में चले जाना हम सभी को विचलित करती है।जैसा कि उन्होंने ही बताया कि वो तीन जन्मों से सन्यासी है।निस्संदेह उन्हें अब इस भौतिक शरीर में आना नही होगा।बाबा के करुणामयी गोद मे सदा के लिए विलीन इस महान आत्मा को श्रद्धांजलि।
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चंद्रशेखर , गोरखपुर 




दादा स्वरूपानंद जी ने कल १७ फरवरी को अपने भौतिक शरीर का त्याग किया। मन में कई प्रकार की भावनाएं आईं,लेकिन उन्हें व्यक्त करने को सही शब्द नहीं मिल रहे थे।
मेरे दादाजी आचार्य चंद्रनाथ जी द्वारा लिखे शब्दों का सहारा ले रहीं हूं। जिसे मैं स्वरूपानंद दादा समेत आनंदमार्ग के सभी मालियों को समर्पित करती हूं।परमपिता आप और आपके भक्तों को हम न भूलेंगे कभी। 🙏🏻 हे बाबा,
"हम न भूलेंगे तुम्हें"। 
तुम्हारे भक्त सेवकों की टोली को भी हम न भूलेंगे। तुम्हारे साथ साथ हम न भूलेंगे उन्हें भी। तुम्हारे आदेश पर, तुम्हारे इंगित पर, तुम्हारी छत्र छाया में, तुम्हारे जैसे स्रष्टा-पथ प्रदर्शक के पथ प्रदर्शन में उन्होंने यह सुन्दर फुलवारी तैयार की।
यह सुन्दर फुलबगिया अपने कल्याणकारी सौरभ से दिग्दिगन्त को सौरभित कर रहा है। तुम्हारे मालियों की वह टोली सदा नहीं रहेगी। प्रकृति के नियमानुसार सभी चले जायेंगे। इस धरती पर सर्वकाल के लिये कोई नहीं आता है। एक-एक कर सभी चले जायेंगे। तुम्हीं ने तो कहा था, समझाया था वह याद है मुझे-

थाकवो ना भाई थाकवे ना केउ, थाकवे ना भाई किछु। एइ आनन्दे चले जाओ कालेर पिछु पिछु ।।

इस विश्व लीला के मंच पर सभी अपना अपना खेल खेलकर चले जायेंगे नियमानुसार। तुम्हारे मालियों की उस टोली में से कुछ जा चुके हैं, कुछ प्रस्थान कर रहे हैं और कुछ जाने की तैयारी में है। किन्तु, उनके परिश्रम से तैयार किया गया यह पुष्प वाटिका अपने सुन्दर सुसज्जित क्यारियों से कल्याणमूलक सौरभ का प्रसारण सम्पूर्ण विश्व में कर रहा है। जब तक यह सौरभ प्रसारित होता रहेगा वे याद किये जाते रहेंगे। वे सभी भाग्यशाली हैं जिन्हें तुमने अपना माध्यम बना कर धन्य-धन्य कर दिया।

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