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पी बी आई का घोषणा पत्र

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देश की आजादी को  75 साल हो गए हैं, लेकिन आज देश की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है। जहाँ एक तरफ भारत में कुछ लोगों की अमीरी बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ देश में कुपोषण से रोज 4500 बच्चे बेमौत मारे जा रहे हैं। बेरोजगारी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। 80 करोड़ लोग मुफ्त के अनाज पर जिंदा हैं। अमीरी-गरीबी की खाई कम करने के स्थान पर सरकार गरीबी का मजाक उड़ाने में लगी है। उसके अनुसार रोज लगभग 180 रुपए कमाने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है।


दिल्ली-मुम्बई में एक तरफ जहाँ लोग सड़कों पर सोने के लिए मजबूर है, वहीं दूसरी ओर एक बड़े उद्योगपति  मुम्बई स्थित्त 20,000 करोड़ रुपये के 27 मंजिला मकान में रहते हैं। भारत के 21 सबसे अमीर व्यक्तियों की कुल संपत्ति देश की आधी आबादी यानी 70 करोड़ लोगों की कुल संपत्ति से अधिक है।




कुटीर व छोटे व्यापार लगभग बर्बाद हो चुके हैं, और सारा व्यापार और पैसा बड़े उद्योगपतियों के हाथों में सिमट चुका है। अम्बानी, अडानी, मित्तल सरीखे चंद उद्योगपति सब्जी, अनाज, कपड़ा बेचने से लेकर एयरपोर्ट, बंदरगाह चलाने, तथा बिजली बनाने तक का काम कर रहे हैं। बढ़ती बेरोजगारी, बर्बाद होते छोटे उद्योग-धंधों और महँगाई के चलते जनता की क्रय शक्ति बिल्कुल घट चुकी है, जिससे मंदी का माहौल है। परिणामस्वरूप कर्मचारियों की तेजी से छंटनी हो रही है।  


दूसरी ओर, धन कुबेर अपना पैसा संसाधनों की जमाखोरी, और शेयर बाज़ार की सट्टेबाजी में लगाकर महँगाई की आग को और बढ़ा रहे हैं। आढ़ती व ब्रोकर्स की वजह से किसान को उसकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा। परिणाम अन्नदाता किसान पूरी तरह बर्बाद हो चुका हैं।  पीड़ित जनता पूरी तरह निराश है, और उसके गुस्से को अनैतिक नेताओं ने  सांप्रदायिकता की ओर मोड़ दिया, जो अपराध और दंगों के रूप में फूट रहा है। 


इन विसंगतियों को ध्यान में रखते हुए महान दार्शनिक श्री प्रभात रंजन सरकार ने प्रगतिशील उपयोग तत्व (प्रउत) नामक सामाजिक-आर्थिक दर्शन दिया। प्राउटिष्ट ब्लॉक, इण्डिया (पीबीआई) इसी सामाजिक आर्थिक दर्शन पर आधारित एक राजनैतिक पार्टी है, जो देश की प्रगति  हेतु  निम्नलिखित सोलह सूत्रीय संकल्पों का कार्यान्वयन करेगी:


*1. शत प्रतिशत रोजगार सहित मूलभूत* आवश्यकताओं की पूर्ति

पीबीआई सभी को मूलभूत आवश्यकताओं जैसे भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा और चिकित्सा की पूर्ति की गारंटी देगी, जिसके लिए यथेष्ठ क्रय शक्ति सहित रोजगार  के अधिकार  को मौलिक अधिकार बनाया जाएगा।  


*2.  निःशुल्क व समान चिकित्सा एवं शिक्षा*

सभी के लिए शिक्षा और चिकित्सा पूरी तरह से निःशुल्क होगी।


*3. गरीबी रेखा नहीं, चाहिए अमीरी रेखा*

आर्थिक विषमता को ख़त्म करने और धन के सही वितरण के लिए  'अमीरी रेखा' लागू की जाएगी, अर्थात किसी भी व्यक्ति को एक निश्चित सीमा से अधिक धन-सम्पति संग्रह करने की अनुमति नहीं होगी। न्यूनतम और अधिकतम आमदनी के बीच दस गुणा से अधिक का अंतर नही  होगा ।  व्यक्ति की  वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ही अमीरी रेखा का निर्धारण किया जाएगा।                                                                                       

*4. नीतिवादी राजनीति तथा नैतिकवानों का नेतृत्व*

समाज का नेतृत्व ऐसे लोगों के हाथों में होना चाहिए जो नैतिकता में दृढ़ हों तथा हर तरह के अन्याय व शोषण के विरुद्ध  लड़ने के लिए सदैव प्रस्तुत हों, साथ ही दुखी व्यक्ति के प्रति उनमें आंतरिक प्रेम तथा निःस्वार्थ सेवा की भावना कूट-कूट कर  भरी हो। राजनीति में भाग लेने का अधिकार केवल नैतिकवानों को ही होना चाहिए। पीबीआई ऐसे नेतृत्व के सर्जन के लिए  कृतसंकल्प है।


*5. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का सीधे जनता द्वारा चुनाव*

 प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जैसे सबसे महत्वपूर्ण पदाधिकारियों का सीधा जनता द्वारा चुनाव  तथा सरकारी खर्चे पर चुनाव कराने की व्यवस्था पर विचार किया जाएगा, जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।  


*6. नशामुक्त समाज*

सभी प्रकार के नशों के उत्पादन और वितरण  पर प्रतिबंध होगा।


*7. महिला सुरक्षा तथा महिला सम्मान की सुप्रतिष्ठा*

महिलाओं को शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए नव्य-मानवतावाद पर आधारित आवश्यक शैक्षिक, कानूनी व आर्थिक सुधार किए जाएँगे। नारी और पुरुष परम पुरुष के दो हाथ हैं।  कोई किसी से कम नहीं।


*8. कृषि को उद्योग का दर्जा*

कृषि को उद्योग का दर्जा देकर पुनर्गठित किया जाएगा ताकि वह लाभकारी हो ।


*9. समन्वित सहकारिता पर आधारित उद्योगों की स्थापना*

वस्तुओं  और सेवाओं का उत्पादन सामूहिक उपभोग तथा जरूरत के लिए होगा, न कि मुट्ठीभर लोगों के मुनाफे के लिए। अधिक से अधिक उद्योगों में कर्मचारियों को हिस्सेदार  (शेयर-होल्डर) बनाकर सहकारी व्यवस्था से चलाया जाएगा। जिन वस्तुओं का उत्पादन देश में हो सकता है उन्हें दूसरे देशों से नहीं मंगाया जाएगा, ताकि देश का पैसा देश में रहे और देश के उद्योग-धंधे तेजी से आगे बढ़ें।


*10. स्थानीय (लोकल) संसाधनों पर आधारित स्थानीय अर्थव्यवस्था*

प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सबसे पहले स्थानीय लोगों के विकाश के लिए किया जाएगा। कच्चे माल के नजदीक तथा स्थानीय आवश्यकता के अनुसार उद्योग लगाए जाएँगे, जिनमें रोज़गार के लिए स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी।


*11. आयकर यानी इनकम टैक्स की समाप्ति*

आयकर को समाप्त कर दिया जाएगा। उत्पादन के स्रोत पर ही कर लगाया जाएगा। आवश्यक वस्तुओं को कर से मुक्त रखा जाएगा।


*12. निःशुल्क न्याय तथा समान कानून व्यवस्था*

निःशुल्क तथा समान न्याय  व्यवस्था की स्थापना की जाएगी।


 *13. समन्वित सहकारी बैंकिंग व्यवस्था*

 रिजर्व बैंक के अलावा, सभी बैंक मात्र सहकारी (कोओपरेटिव) क्षेत्र में ही चलाए जाएँगें। बैंक उत्पादक गतिविधियों में निवेश हेतु ऋण देंगे और धन को अर्थव्यवस्था में गतिशील बनाए रखेंगे।


*14. बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों व कलाकारों का सहकारी संगठन*

कलाकार, शिक्षाविद, पत्रकार, लेखक आदि निष्पक्ष रूप से काम कर सकें, इसके लिए उन्हें सहकारी संगठन बनाकर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।


*15. अपने हितों को सुरक्षित रखते हुए अन्य देशों से शांतिपूर्ण सद्भाव*

 पीबीआई सभी देशों से शांतिपूर्ण संबंध बनाए रखने का पक्षधर है। परन्तु मात्र शांति के नारों से शांति कायम नहीं हो सकती, इसलिए शांति भंग करने वाले तत्वों के खिलाफ संघर्ष करने हेतु तत्पर और तैयार रहना होगा, और यही देश की विदेश नीति का आधार होगा।


*16. प्रउत-आधारित सुसंतुलित समाजार्थिक व्यवस्था की स्थापना*

 अब तक की सभी सरकारें लालच, स्वार्थ और भोगवाद पर आधारित पूँजीवादी अर्थव्यवस्था चलाती आ रही हैं, जिसने देश में गहरी समाजार्थिक विषमता पैदा कर दी है। पीबीआई पूँजीवाद, साम्यवाद व मिश्रित अर्थव्यवस्था के दोषों से मुक्त श्री प्रभात रंजन सरकार द्वारा प्रदत ‘प्रउत’ (प्र-प्रगतिशील, उ - उपयोग, त - तत्त्व ) सिद्धांत पर आधारित सुसंतुलित समाजार्थिक व्यवस्था की स्थापना करेगा।


अतः *पी.बी.आई* के उम्मीदवार  कानपुर से संजय कुमार कोविजयी बनाए 

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