दो खेमे होने दो। खुली लड़ाई होने दो, श्री प्रभात रंजन सरकार

 


प्रउत प्रणेता  श्री प्रभात रंजन सरकार कहते हैं केवल अपने ज्ञान, बुद्धि या सामाजिक स्थिति से महान विचारधारा का प्रचार नहीं कर सकता। वह केवल अपने आचरण से ही ऐसा कर सकता है। सहज आचरण से ही मानव आचरण शुद्ध होता है। यह आवश्यक नहीं है कि व्यक्ति तथाकथित उच्च कुल से हो या उसने विश्वविद्यालय की पढ़ाई पूरी की हो। बल्कि, ये कारक व्यक्ति के मन में मिथ्या अभिमान पैदा कर सकते हैं जो अंततः उसके आचरण को सुधारने के मार्ग में बाधा बन सकता है। हमारे इस ब्रह्मांड में दो शक्तियां एक साथ काम कर रही हैं - सत्व और तामसिक। कभी सत्व तो कभी तामसिक शक्ति हावी होती है। इन शक्तियों के बीच समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है। इन विरोधी शक्तियों के बीच निरंतर संघर्ष के बीच मनुष्य को आगे बढ़ना होगा। समाज में एक ओर हम असामाजिक तत्वों का जमावड़ा देखते हैं, तो दूसरी ओर नैतिकतावादियों में निराशा का भाव देखते हैं। इसलिए इन नैतिकतावादियों में समाज से बाहर जाने की प्रवृत्ति विकसित हो गई है। अधिक धन और शक्ति के साथ, असामाजिक तत्व लाभ की स्थिति में हैं, और नैतिकतावादी अपराधी प्रतीत होते हैं।  यह स्थिति न तो वांछनीय है और न ही उचित है, और इसे जारी नहीं रहने देना चाहिए।

तुम्हारा कर्तव्य होगा नैतिकतावादियों को एकजुट करना। दो खेमे होने दो। खुली लड़ाई होने दो। नैतिकतावादी इतने लंबे समय से बिखरे हुए हैं कि वे लड़ नहीं सकते। पांच नैतिकतावादियों की एकजुट शक्ति सौ अनैतिक लोगों की एकजुट शक्ति से बहुत अधिक है क्योंकि बाद के लोगों के बीच एक अपवित्र गठबंधन है। बंद दरवाजों के पीछे ध्यान करने से काम नहीं चलेगा। अंतर्ज्ञान अभ्यास द्वारा शक्ति प्राप्त करो और अनैतिक लोगों के खिलाफ खुद को एकजुट करो।


तो तुम्हारा कर्तव्य तीन गुना है। तुम्हारा पहला कर्तव्य नैतिकता का पालन करना और अंतर्ज्ञान अभ्यास करना है। इसके बिना तुम मानसिक दृढ़ संकल्प प्राप्त नहीं कर सकते। तुमहारा अगला कर्तव्य दुनिया के नैतिकतावादियों को एकजुट करना है, अन्यथा धर्म टिक नहीं पाएगा। शोषित जन जो यम और नियम - प्रमुख नैतिक सिद्धांतों का पालन नहीं करते हैं - अपनी निराशा की भावना के खिलाफ नहीं लड़ सकते। इसलिए नैतिकतावादियों को एकजुट करना आवश्यक है। यही तुम्हाराअसली धर्म होगा। ऐसा करने से तुम महान बनोगे, क्योंकि महान की कल्पना ही व्यक्ति को महान बनाती है।  तीसरे चरण में तुम्हारे संसार में जहाँ-जहाँ पाप ने जड़ जमा ली है, उसके विरुद्ध निर्दयतापूर्वक लड़ना होगा।


तुमको इस मिशन का घर-घर जाकर प्रचार करना होगा। कोई भी राजनीतिक दल या तथाकथित धार्मिक संस्था मोक्ष नहीं दिला सकती। ढोल-नगाड़े बजाकर भगवान की स्तुति करने से भी मोक्ष नहीं मिलेगा, क्योंकि इससे पापी वश में नहीं आता। आज अनैतिक लोगों के आक्रमणों को रोकने के लिए ढोल-नगाड़ों से अधिक हथियारों की आवश्यकता है।


जब तक तुम्हारे मन में कोई कमजोरी है, तब तक पाप के विरुद्ध लड़ना संभव नहीं है। इस लड़ाई में तुम्हारा लक्ष्य पाप या पापी नहीं है, तुम्हारा लक्ष्य परम चेतना है। इसके मार्ग में जो भी बाधा आए, उसे निर्दयतापूर्वक हटाना होगा। जब बादल ध्रुव-तारे के चारों ओर एकत्रित होकर उसे ढक लें, तो तुम्हारा कर्तव्य होगा कि तुम बादलों को हटाकर ध्रुव-तारे का अनुसरण करो, यह देखे बिना कि बादल कहाँ चले गए।  अगर तुम हमेशा अपने दुश्मन के बारे में सोचते रहोगे, तो तुमहारा मन तुमहारे विचार के विषय के बुरे गुणों को अपना लेगा, लेकिन अगर परम सत्ता  तुम्हारा लक्ष्य है, तो  तुम्हारा मन परम सत्ता में ही रूपांतरित हो जाएगा।


याद रखो - तुमको मानवता की सेवा करनी है। तुमको खुद को पूरी मानवता के लिए समर्पित करना है। तुम्हारा जीवन मूल्यवान है;तुम्हारा  समय और भी अधिक मूल्यवान है। तुम्हें एक भी पल बर्बाद नहीं करना चाहिए। यह कार्य गौरवशाली है। यह कार्य नया है। एक योद्धा का जीवन जिओ और लगातार बुराइयों से लड़ो। तुम विजयी होगे। इसलिए आगे बढो!

Prout in Nut Shell Part 18

दिसंबर 1966

बाबा

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